मेष राशि गुण और लक्षण
मेष राशि
राशि चक्र की यह पहली राशि है| इस राशि का चिन्ह मेढ़ा या भेड़ है| मेष राशि पूर्व दिशा की द्योतक है तथा इसका स्वामी मंगल है। मेष राशि के अन्तर्गत अश्विनी और भरणी नक्षत्र के चारों चरण और कृत्तिका का प्रथम चरण आते हैं। मंगल जातक को अधिक उग्र और निरंकुश बना देता है।
वह किसी की जरा सी भी विपरीत बात में या कार्य में जातक को क्रोधात्मक स्वभाव देता है,| जिससे जातक बात-बात में झगड़ा करने को उतारू हो जाता है। मेष राशि के जातक को किसी की आधीनता पसंद नहीं होती है।
वह अपने अनुसार ही कार्य और बात करना पसंद करता है। जातक को ऐश-आराम की जिन्दगी जीने के लिये मेहनत वाले कार्यों से दूर रखता है और जातक विलासी होता है। जातक के दिमाग में विचारों की स्थिरता रहती है और जातक जो भी सोचता है
उसे करने के लिये उद्धत हो जाता है। मंगल की वजह से जातक में भटकाव वाली स्थिति रहती है वह अपनी जिन्दगी में यात्रा को महत्व देता है।
जातक में उग्रता के साथ विचारों को प्रकट न करने की हिम्मत देते हैं, वह हमेशा अपने मन में ही लगातार माया के प्रति सुलगता रहता है। जीवन साथी के प्रति बनाव बिगाड़ हमेशा चलता रहता है |
मगर जीवन साथी से दूर भी नहीं रहा जाता है।
जनता के लिये अपनी सहायता वाली सेवाएं देकर पूरी जिन्दगी निकाल देगा। सूर्य जातक को अभिमानी और चापलूस प्रिय बनाता है। बुध जातक को बुद्धि वाले कार्यों की तरफ और संचार व्यवस्था से धन कमाने की वृत्ति देता है। शुक्र विलासिता प्रिय और दोहरे दिमाग का बनाता है लेकिन अपने विचारों को उसमें सतुलित करने की अच्छी योग्यता होती है।
मेष अग्नि तत्व वाली राशि है, अग्नि त्रिकोण (मेष, सिंह, धनु) की यह पहली राशि है। इसका स्वामी मंगल अग्नि ग्रह है।
राशि और स्वामी का यह संयोग इसकी अग्नि या ऊर्जा को कई गुना बढ़ा देता है, यही कारण है कि मेष जातक ओजस्वी, दबंग, साहसी और दृढ़ इच्छाशक्ति वाले होते हैं, यह जन्मजात योद्धा होते हैं। मेष राशि वाले व्यक्ति बाधाओं को चीरते हुए अपना मार्ग बनाने की कोशिश करते हैं।